Active Blogs | Popular Blogs | Recent Blogs ज़िन्दगी के उस पल मायेने बदल जाते हैं ..
जिन अपनों पे हो भरोसा ,वो बेगाने निकल जाते हैं ..
कश म कश में उलझना समय की है बरबादी ..
निर्णय पे टिकने वाले वक़्त से आगे निकल जाते हैं ..
दो व्यक्तित्व अलग होते हैं कहीं तो टकराएंगे ..
फिर भी ढूंढों तो हर टकराव के हल निकल जाते हैं ..
हर तरफ शोर ही शोर ..या ..सन्नाटा ....
दौर आते हैं ..ठहरते हैं .... निकल जाते हैं ...
इस तबस्सुम में नमी दर्द की भी क्यूँकर है ..
दर्द देने वाले तो बेदर्दी से, हंस के निकल जाते हैं ..
मैं नहीं कहती मुझे आता है बहुत कुछ कहना ...
जाने अलफ़ाज़ क्या क्या ज़िक्र ले के निकल जाते हैं ..
हर एक शख्स को एक डोर सी बांधती है शायद ..
वरना क्यों मेरे आंसू तेरी आँखों से निकल जाते हैं .
 sri Sri | Bahut koob soumya.. aap ka shayari bahut achi hai...:)
Posted at: 16, Oct 2013 8:21 AM |
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